Monday, May 3, 2010

एक और निरुपमा ने दी आहूति ( मोहब्बत माग रही बलिदान)




Good Morning, Left My Badminton Today When i got this Breaking News Today at 5 am .


Could not --Resist----------- Myself to write or comment something on this Subject।


Dedicated to late Nirupama Pathak, who is no more and also Dedicated to Karuna Nirupama Nicodemus( नाम लूँगा तो बदनाम हो जायेगी) who knows Nirupama better than me.
Well can be Nirupama Pathak, or Nirupama Nicodemus, Aur Nirupama Kaur, & Nirupama Mishra

जब जब तेरा नाम आया , मुझे लिखे हें पड़ा
जब जब तेरे नाम आया, मुझे लिखने हें पड़ा.
इतनी  मोहलत तो  दे दे मुझे
इतनी  मोहलत  तो  दे दे मुझे
तेरे इस नाम को भी अमर कर जायु 
( शायर- परवीन अल्लाहबदी & महक सुल्ताना)
सुधा अपने हें हाथो से अपने कोख  को उजर दिया.
क्या हो जाता अगर तेरे नन्ही से फूल किस्से और बगिया में उगती
माली तो फिर भी तुम लोग ही  कहलाते
इस धर्म और जाती वाद और कितने क़ुरबानी मागेगे
सुधा क्या सच में उस फूल को तुने नौ म्हणे अपने हें कोख में रेखा था
सुधा क्या सच में उस फूल को तुने नौ महीने  अपने कोख में रखा था
कवी पूछते है( भावानावाओ को समाज) apne BAD- MINTON CHOR KE LIKH RAHA HOO
क्या हो जाता
क्या हो जाता
अगर वोह निरुपमा पाठक से निरुपमा सिंह या फिर निरुपमा श्रीवास्तवा कहलाती
तेरे को और पिरित करता हूँ सुधा
क्या हो जाता--------
क्या हो जाता---------
अगर वोह निरुपमा पाठक से निरुपमा सुल्ताना कहलाती, या फिर निरुपमा sएक़ुएइरा( Sequeira) कहलाते


व्यंग तो देख
सुल्ताना पसंद न आया हूँ टोह निरुपमा अख्तर कहलाती
फिर भी वोह तेरे नन्ही निरुपमा हें होते
फिर भी वोह तेरे नन्ही निरुपमा हें होते
जिसको पहला सबद माआआआआआआआआआआआआआआआ निकले होंगे
जिसको तुमने ऊँगली पकड़ कर चलना सिखाया होगा
और हे सुधा , मैं भी तेरा पुत्र  हूँ
मैं हर दिन, हर रोज़, हर रात एक फूल के लिए मरता हूँ
तुने अपने ही  बगिया उजार दिया
तुने अपने हें बगिया उजार दिया


एक  खेले हुआ फूल को मुरझा दिया
एक  खेले हुआ फूल को मुरझा दिया
अरे pandityen   , तुझसे तो अच्छा वोह शुक्ल था
अरे पंदियातायीं, तुझसे  तो अच्छा वोह शुक्ल था
जिसने  ने मेरे बहिन मधुमिता को मारा था
कम से कम अपने हें कूख को नहीं उजारा था
कम से कम अपने हें कोख को नहीं उजारा था

सुधा अपने ही हाथो से अपनी कोख  को उजाड़  दिया.
क्या हो जाता अगर तेरी  नन्ही  सी कली किसी  और बगिया में उगती
माली तो फिर भी तुम लोग ही  कहलाते
ये धर्म और जातिवाद और कितनी क़ुर्बानी  मांगेंगे 
सुधा, क्या सच में उस फूल को तुमने  नौ माह  अपनी  ही कोख  में रखा  था
सुधा क्या सच में उस फूल को तुमने नौ माह  अपनी ही  कोख  में रखा था
(कवि  पूछते है भावानावाओ के साथ) 
समाज को क्या हो जाता है....
क्या हो जाता........
अगर वो निरुपमा पाठक से निरुपमा सिंह या फिर निरुपमा श्रीवास्तव कहलाती
तेरे को और पीड़ित  करता हूँ सुधा
क्या हो जाता--------
क्या हो जाता---------
अगर वो निरुपमा पाठक से निरुपमा सुल्ताना कहलाती, या फिर निरुपमा सेकुयेरा ( Sequeira) कहलाती 
व्यंग तो देख
सुल्ताना पसंद न आया हूँ तो  निरुपमा अख्तर कहलाती
फिर भी वो तेरी  नन्ही निरुपमा ही  होती 
फिर भी वो तेरे नन्ही निरुपमा ही होती   
जिसका  पहला शब्द  माँ निकला  होंगा 
जिसको तुमने ऊँगली पकड़ कर चलना सिखाया होगा
और हे सुधा , मैं भी तेरा पुत्र  हूँ
मैं हर रोज़  हर दिन, हर रात एक फूल के लिए मरता हूँ
तूने  अपनी  ही  बगिया को उजाड़  दिया
तुने अपनी  ही  बगिया उजाड़  दिया
इक खिले  हुए  फूल को मुरझा दिया
इक खिले  हुए  फूल को मुरझा दिया
अरे पंडिताइन , तुझसे  तो अच्छा वो शुक्ल था
अरे पंडिताइन तुझसे  तो अच्छा तो  वो शुक्ल था
जिस्ने  मेरी  बहिन मधुमिता को मारा था

कम से कम अपने हें कोख को नहीं उजारा था
कम से कम अपने हें कोख को नहीं उजारा था
 
( This all people Named Does not relate To any caste Or & The Poet Aim is not to Hurt the Sentiment Of Any particular Segment or caste)
There Can be Thousand of people with Name Nirupama & Then also Pathak, People means our Society calls it with a very beautiful Name (Honour Killing ), finally Society consists of different People coming from different, Caste, Creed, language, eating habits & Offcarse the Golden word जातिवाद

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