जब भिड़ पड़े थे दो भाई,
वर्चस्य के लड़ाई में,
अपने बाप की कमाई,
जागीर और इज्ज़त नीलाम कर दी...
मेरे देश के दो होनेहार पुत्र
मुखाग्नि देते वक़्त तुम्हे लज्जा न आई थी,
तुमने वचन नहीं लिया था...!
अपने ही परिवार की बात रहे हो...
और छोटे को डांट रहे हो...
क्या होगा अगर वो तेरे से भी आगे निकल जायेंगे...
फिर भी वो तेरा ही परिवार कहलायेगा...
सभ्यता से भरी कुंती(महाभारत) ने तो यही कहा था
तुम जो लाये हो, तुम सब भाई बाँट लो...
अपने माता के ह्रदय को छलने...
इस मूक अंधी समाज को क्या पैसे दिखाते हो...
( This poem is for publish)
इतहास ने तोह हमें धर्मराज्य युधिस्टर भी दिया था , जिससे यश कों भी उपदेश दिया था
और अपने हें माँ के कोख से जन्मे पुत्र कों चोर दिया था
और अपने हें माँ एक कोख से जन्मे पुत्र कों चोर दिया था
सिर्फ अपने और मतयो के लिया
युधिस्तर ने कहा था , क्या दूंगा मैं अपने छोटे मो कों जबाब
जब पुचंगे गे वोह कहा गया मेरा लाल
-------------------------------
-----------------------------------
------------------------------
क्या बचपन के वोह दिन भूल गया
जब तुने अपने छोटे भाई के लिए कई लडिया लड़ी होंगे
उसे टू कई बार, बार बार जान मुझ कर खेल में हारा होगे
-----------------------------------------
-------------------------------------------
----------------------------------------
और हे ------ क्या तुझे याद है वोह दिन
जब भाई ने भाई के लिया निवाला बनाया था
और एक हें बर्तन में तुम दोनों भाइयो ने कई कई बार , साथ साथ खाना खाया था
--------------------------------------
---------------------------------------
------------------------------------
----------------------------------
---------------------------------
---------------------------------------
हे ------, टू हें क्यों नहीं देता क़ुरबानी
इतहास गवाह है, हमेश बड़ा हें kउर्बानी देता आया है
और छोटो को हमेश आगे nइकालता गया है
वार्यं देखियी
जब बारह किलोमेतरे के दूरी उस भाई ने kआर दे थे साथ मिनट में पूरी
एक फॉर्म भरना के लिए , नहीं टोह बंद हो जाता दूकान
-------------------------
-------------------------
-------------------------
मुर्चित हुए लखन को देखर जब रोह पड़े थे सचत राम
अपने हें भाई की मृत्यु देखर जब अपने हें मृतु मांग रहे थे भगववान
कोई मेरे इस लखन को जिले दे, भला मेरे प्राण पाखरू उर ले
--------------------------------------
हे -----, जब खुरबानी एक नाम आइयेगा, टोह हमेशा बड़ा bhai हें युदिश्तर कहेलियेगा
---------------------
-----------------------
इस धन रुपे वर्चस्य में aise क्या सकते है
जो bhai भाई ko मरता hai
और kal अपने he भाई se हारना वाला woh भाई
आज apne हें bhai को harana के liye सोचता है
------------करके mata के ह्रदय ko बार बार चलने
--------------------------------------
बंद kar इस वर्चस्य के लड़िये ko
गले se लगा अपने chote भाई को
----- गीता कहते है टू एकला हें ऐया था
एकला हें जायेगा , क्या लेकर आइये था
और क्या लेकर जायेगा
अगर तुने nahee किया aise
टोह सीधा नरक में जायेगा गा
वह भी इस अल्लाहबदी को मौझुद पायेगा
वह भी इस अल्लाहबदी को मौजद पायेगा
परVIN ALLAHABADI & MEHEK SULTANA
( there can be thousand of mehek Sultana)
The poem is and every poem is imagaination, and doest not hint to anypne in particular
There is no writter or poet in this entire space who has always inspired Tropic from real life
Only poet like William who only writes on nature , rest mY biggest hero was also inspired and use to get tropic to write from this society.
Anypoet who has written about love, society, god, courage, non living thigs, animals are all inspired with certain incidents.
either its child marriage, dowry system, Vidhya, sati all have commented on the Prevaling cultures in our society
No comments:
Post a Comment