Sunday, May 2, 2010

शायरी तो हम भी करते

This particular Nazm is Dedicated to My wife, My Tuttee ( My Mulgi)




शायरी टोह हम भी करते, अगर मुकमल मंजिल होते
शायरी टोह हम भी करते, अगर मुकमल मंजिल होते
एक gहरोडा भी ना बस पाया तेरा बेगायर

ईट और पत्थर से बना मकानों को घर नहीं कहते
ईट और पत्थर से बना मकानों को घर नहीं कहते
दिल्फेक आशिक का दिल है, जरा ध्यान से, कहे tओठ न जाये

ईट और पत्थर से बना मकानों को घर नहीं कहते
जब टू हें नहीं मेरे ज़िन्दगी में, टोह यह शायरी किसके लिए
तेरे bअगयार भी मेरे कोई मंजिल है
यह पता हें नहीं
मेरा tओ घर hई टूथ गया बसने से पहले

शायरी टोह हम भी करते, अगर मुकमल मंजिल होते
शायरी टोह हम भी करते, अगर मुकमल मंजिल होते

शायर- परवीन अल्लाहबदी & महक सुल्ताना
( There can be thousands of Mehek SULTANA)

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