Friday, April 30, 2010

यिक चंदालनी थी

This Particular Phrases or you can say is a comment on the latest Addition on the List Of Gaddars Yes Miss Madhuri Gupta बचपन में पढ़ा था
यिक चंदालानी थी
वोह मुर्दों का मांश , इंसान के खोपड़ी में छिपाकर रकते थी
जब उससे पुचा गया
यीय चंदालानी, इन्सान का मांश खाने वाली
टू मुर्दों का हें मांश खाते है
फिर मुर्दों के ही मांश cहूपा के क्यों रखते है
चंदालानी ने उत्तर दिया
कही मेरे इस खाना पे kइसी गद्दार के नज़र न लग जाये
कहे मेरे इस खाना पे किस्से गद्दार के नज़र न लग जाया
नहीं तोह मेरा खाना ख़राब हो जायेगा
नहीं तोह मेरा खाना ख़राब हो जाएगा

कवी के भावानोवो को समजे
एय एय गद्दार तुने तोह देश का सौदा का दिया
tउझ्से टोह अच्छा वोह चोर है
जो दिल और गुर्दा बेचते है

जो दिल का सौदा करते ही
जो दिल का सौदा करते ही

कवी के भावनाओ को समझे
ये माधुरी तू तो मुझसे भी बड़ी चोर ही
मैंने कई दिल चुराया
कए दिलो के साथ खेल गया
तुम तो
मेरे देश को हे बेच कर चले गयी

और ऐर्ज किया ही

मई कुछ हें बद्दुआ लेकर यिस दुनिया से जयोंगे
तुझे तो सारा देश बददुया देगा
तुझे तोह सारा देश बदुवाया देगा

aउर ऐर्ज किया है की
तेरे dअमन pएर बदनामी के चेटा
तेरे अपने हे लोगो पे परेंगे
तेरे दामन पैर बदनामी के cहेटा , तेरे अपने भी लोगो पैर परेंगे
उस कूख को भी टू नी बदनाम किया ही
हां तुने मेरे सुन्दर माधुरी को भी बदनाम किया ही
तुने हर माधुरी नाम को बदनाम किया ही

माधुरी तेरे क्या mअज्बुरियेअ रही होंगी
यह शायर नहीं जनता
तुझसे अची तो मेरे बचपन के चंदालनी tही

जू मुर्दों का मांश घ्दारो से छुपा छुपा कर खाते थे
जू मुर्दों का मांश छुपा छुपा कर खाते थी
This is not a Shayari or a peotry because its has many colours of life and covers lot of pain area
poem is something that keeps relating to Only one particular flow
Here the flow keeps on changing, hum eisa यिक चुटके या व्यंग कह सकते ही
( finally no one is Guilty until and unless he is given a fair trial and then Proved to be guilty by any court of Law)

Vayang- परवीन अल्लाहबदी एय महक सुल्ताना
(There can be thousand of mehek Sultana)

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