Sunday, April 25, 2010

हां मई गुलज़ार नहीं हू- परवीन अल्लाहबदी एय महक सुल्ताना


इतना प्यार किया तुमको की , बदनाम कर गया
इतना प्यार किया तुमको के, बदनाम कर गया
जिसका कोई नाम नहीं था, उनका नाम कर गया
शायर- परवीन अल्लाहबदी & महक सुल्तान
( there can be thousands of mehek Sultan)

नशे में झुमने वाले,
कलम पकरने से पहले मदिरा में डूबने वाले
टू गुलज़ार नहीं है
Mआदिरा तू ऐसे पता है, जैसे sहाकी खुद पिला रही हो
कवी के भवनों को समझे
मदिरा टू ऐसे cहटा है, जैसे लोग मरते वक़्त गंगा जल को तरसे
टू गुलज़ार नहीं है

नशे में झुमने वाला, कलम पकरने से पहले नशे में दूभ्नेवाला

हां मैं गुलज़ार नहीं हूँ
क्या गुलज़ार भी pईता है , gअमो के aअंशू

उसे तो राखी मेले जीवन भर के लियी
वोह मेरा दमन चोर गयी जीवन भर के लियी
कवी के भावनाओ को समझे
जब जाना हे था, तवो यह दामन थमा हे क्यों था
यह कैसे गुलज़ार है, जिसके पास उसके राखी नहीं है
है दोस्तों मैं गुलज़ार नहीं हूँ
गुलज़ार तो अपने खुसबू से दुनिया kओ mएहेकता ही(its a coincidence that every poem or lyric gulzar uses mehek, and who know mehek better than me)
और एक तू , अपने हे भावनाओ को मोतियों में पिरोता है
aपनी चोर कुछ नया लिख
जीना सीख पीना चोर
हां टू गुलज़ार नहीं है
तेरे हर कहानी, तेरे हर नगमे , तेरे हर कविता में, तेरा घुजारा कल नज़र आता है
क्या गुलज़ार अपने हे कहानी lइख्त है

वासना के अनुभूति वाला, जो पाप तुने किया है, वोह यही भूगत के जायेगा
जो अपने हे बस में नहीं, वोह क्या इस दुनिया को mएहेकयागा
हां मैं गुलज़ार नहीं हू


शायर परवीन अल्लाहबदी एय महक सुल्ताना
(there can be thousands of Mehek sultana)


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