Wednesday, April 28, 2010

A Tribute to the IIT"N( IIT के लोगो को याद किया जाया)

This poem is dedicated to All the IIT"N passed out or studying in the ( Indian institute of Technology).
My Younger Bro Worked very hard but could not click it .
specially To PRIYANK MOHAN from IIT KANPUR final Batch, ( My Poem is dedicated to him) and all the IIT"N
साहेब तुम लोग भी क्या चीज़ हो,
यह पता ने नहीं चलता, कब पढ़ते हो यह पता हे नहीं चलता,
मुझे तोह आज तक पता हे नहीं चला ki ,
If one men can do a piece of work in 7 days and when he is joined by another 2 men then how many days -----------------------------------------------.
बस बस प्रियंक , मुझे अपना दोस्त बना ले
मैं तेरे तरह इतना अग तोह नहीं बढ़ पाया
पैर इस शायर को ATARAXIA का मतलब बता दे
यीय ऑफ़ IITAn मुझे एन्ग्ल्लिश सिखा दे
और ऐसा कोई मंच बना डे
तुम लोग हे कल यिस देश को समहलोगी
यहाँ हर दिन , हर रोज़ यिक गुलज़ार मरता है
और हे प्रियंक, यिस देश का दुर्भाग्य तोह देख
और हे प्रियंक। यिस देश का दुर्भाग्य तो देख
यहाँ केतन ( Kएतन मेहता) भी बिकता है
यहाँ केतन भी बकता है

शायर - परवीन अल्लाहबदी एय महक सुल्ताना
( there can be thousands of mehek sultana)

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