Monday, November 22, 2010

ये जा के उसको बताओ - कोई तो मुझे डॉ. मंजुला वत्स्य MAM से बचाओ

Someone Says:- "Missing someone when you are ALONE iz not 'Affection'... But, Thinking of someone even when you are BUZY iz called 'Real Relation'...!!" :-)




Allahabadi Got a Tropic in His Mind to write.



POEM- ये जा के उसको बताओ ***************

कोई तो मुझे डॉ. मंजुला वत्स्य MAM से बचाओ

POET- PARVIN ALLAHABADI



ये जा के उसको बताओ

कोई तो मुझे डॉ. मंजुला वत्स्य से बचाओ

(Consultancy)कंसल्टेंसी चार्ज देते-देते थक चुका हूँ ...



फ़ाइल पे फ़ाइल लिखती हैं...

और जूली, तेरे इस भाई को स्लाईट अब्नोर्मल( Slight abnormal) कहती हैं...

या तो मुझे मेरी झील दिलवाओ...

या डॉ. हरिवंश राय बच्चन साहब,

मुझको मेरी मधुशाला बतलाओ...



क्या सच में मेरी मधुशाला चल के आयेगी...!

या वो मुझको ठेंगा दिखलाएगी....

उसको भी तो settled , House owner, luxor चाहिए होगा...

मेरे पास तो अल्टो LXI है, (Woh Bhi PAPA ke Naam Pe Registered)

या तुम सब लोग मेरा राँची ( कांके) का टिकिट कटवाओ...

उधर जा के ही खेल खेलूंगा...

OffCoarse BAD-MINTON WALA

या तो मुझे मेरी झील दिलवाओ...

या डॉ. हरिवंश राय बच्चन साहब,

मुझको phir sey मेरी मधुशाला Dikhlayo...



बिन शेटल और कार्क के भी बेड-मिन्टन खेलूँगा...

नेट और पार्टनर नहीं भी रहे

अगले एशियाड मे भारत से भी,

बेड-मिन्टन मे एक गोल्ड रहेगा,



और दिल-ए-दर्द देखा...

बाप ना पाया तो क्या हुआ,

एक बाप बनने कि फीलिंग क्या होती है,

ना जान पाया तो क्या हुआ,

पूरे पागलखाने को ही अपनी औलाद बनाऊँगा,

और उन सब पे ही,

जी भर के अपना वात्सल्य लुटाऊँगा,



और हे अल्लाहाबदी,

जब लोग ये पूछेंगे...

इन सारे बच्चों की माँ कौन है.....?

तो मैं श्री हनुमान जी की तरफ हाथ दिखाऊँगा,

जब बिन बियाहा ब्रम्हचारी पिता बन सकते थे,

तो मैं विवाहित बाप क्यों नहीं बन सकता ....!

शायद पागलखाने के सारे लोग,

मेरी बात मान जायेंगे,

शायद पागलखाने के सारे लोग,

मेरी बात मान जायेंगे,

और जो ना माने , वो सारे खुद पागल कहलायेंगे.........

और बाद मे वो सारे के सारे,

मेरे ही पास पागलखाने आयेंगे.....

((Explanation- ranchi because there i have heard FOOD is Good.there, compared to Agra(now Shifted to bareilly),Hope there would have been one in bangalore. I luv Namma banguluru ))

-- प्रवीण अलाहबादी
POET- PARVIN ALLAHABADI

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